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जीवन बहु आयामी है, ————————-

विचारों का संसार
विचारों का संसार
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जीवन बहु आयामी है, किसी न किसी आयाम पर मनुष्य के स्वभाव के अनुसार गलती हो ही जाती है, इस गलती को भुनाने के लिए इस युग में अनेक व्यक्ति है , जो सरकारी दफ्तरों और व्यावसायिक लोगो की गतिविधियों पर नजर रखते है, समय आने पर आक्रमण भी करते है, अनेक लोग कोन इनके पचड़े में पड़े ? यह सोचकर समझोता कर लेते है, गलती यही होती है, इस गलती की सजा तब तक मिलती है जब तक ये लोग खून की आखरी बूंद भी नहीं चूस लेते है, यही ब्लेक मेलर कहलाते है, जीवन में ऐसे लोग इसीलिए पैदा होते है की अपना खून छोडकर दुसरो का खून पिये पूर्व जन्म की पीड़ा है ? एक दुसरे की कमजोरी का लाभ कैसे उठाया जाए बखूबी जानते है, चूँकि अनेको निर्दोष का खून इनके शरीर में होता है, इस कारण मूल खून इसका विरोध करता है, यही खून ऐसे लोगो को तडपा तडपा कर मारता है, अंत कभी सुखद नहीं होता, हर वस्तु में मिलवाट बर्दाश्त की जा सकती है, लेकिन खून इसे बर्दाश्त नहीं करता ? यही शास्वत है . खून का भी एक स्वभाव है, अपने अनुकूल खून को ही यह स्वीकार करता है। कुछ लोग ऐसे भी होते है जो व्यक्तियों की इस मानव स्वभाव भूल को नजर अंदाज करते है, उन्हें दोबारा ऐसी भूल नहीं करने को कहते है, सदा इस गलती के साथ रहने का वादा करते है ऐसे लोग अपने किये उपकार का बदला चाहते है, अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने पर ऐसे लोग दुश्मन हो जाते है , यहाँ तक की बदला लेने का भी मन बना लेते है, हमेशा दुखी रहते है, इसे अपेक्षा भंग कहा जा सकता है, वास्तव में अपेक्षा ही दुःख का कारण है ? बच्चो के लिए हमने क्या नहीं किया ? वे हमारे लिए किये का क्या उपहार दे रहे है ? यही अपेक्षा सुख से मरने नहीं देती ? एक अन्य प्रकार के लोग भी होते है जो अच्छा कर भूल जाते है ? न इनकी कोई अपेक्षा होती है, न कोई सेवा चाहते है, यही परोपकारी होते है, इस विचार के अलावा उपरोक्त दोनों विचार समाज को मान्य नहीं है, इसलिए समाज इन्हें अपना प्राणी नहीं मानता है, किन्तु यह यह भी सत्य है कि अंतिम प्रकार के परोपकारी व्यक्ति की दुर्दशा के लिए समाज, प्रदेश और देश ही जिम्मेदार है, परोपकारी हमारी सम्पति है ? इस धन के भरोसे से हम फिर से अपना गुरुत्व दिखा सकते है, एक बार यह गुरुता प्रारम्भ हुयी तब सारे गलतियों को भुनाने वाले लुप्त हो जायेंगे, अनेक लोग भेडिये की खाल में शेर का जीवन जीते है, कुछ लोग मनुष्य के रूप में जीते है जबकि कुछ लोग मनुष्य होते हुए भी धार्मिक जीवन जीते ऐसे व्यक्ति ही इतिहास पुरुष बनते है, प्रयास करे हम भी इतिहास पुरुष बने ?
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