Menu
blogid : 13121 postid : 35

आमंत्रण —–

विचारों का संसार
विचारों का संसार
  • 160 Posts
  • 31 Comments

आमंत्रण हर आज के युग मे हर किसी को दिया जाता है, वह आमंत्रण के योग्य हो या नहीं, आमंत्रित आते भी है, हर समारोह मे भीड़ दिखना चाहिए यही आयोजको की मंशा होती है, इस आमंत्रण रूपी लोक लज्या को बखूबी लोग भुनाते है, इस आमंत्रित भीड़ से लोग अपना महत्व जताते है, आमंत्रित हमेशा ढगा जाता है, एक कोने मै बैठकर इनकी रामलीला देखते रहता है। जैसा नचाते रहते है वैसे ही नाचते है, उनके बिना आज्ञा के इधर से उधर नहीं हो सकते ? यही तमाशा है, आगंतुको के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए यह ना तो आमंत्रित जानते है न आमंत्रण कर्ता, कही कही तो इन्हे आगंतुक होने का मुआवजा भी दिया जाता है, बेचारे गरीब है दो जून का भोजन और भेट की राशि से कल का भोजन की जुगाड़ हो जाने भर से खुशी मनाकर स्वाभिमान को एक तरफ रख देते है ? ऐसा करने वालो के लिये यह कलंक है, जानवरो जैसे भरकर लाते है, और वैसा ही व्यवहार होता है, अपनी गरीबी के कारण वे सब यह सहते जाते है । यह कटु सत्य है। किन्तु यह हमारी परिपाटी नहीं है। आमंत्रित हमारे भगवान होते है, उन्हे भगवान का दर्जा दिया गया है, जिसे हम आमंत्रित करते है क्या उसका ख्याल हम रख पाते है, यदि ऐसा नहीं होता है तब इनका नहीं भगवान का अपमान करते है ? क्या बात है जिन्हे हम ” अतिथि देव भव ” कहते है उनके ही सहारे हम अपना संसार सजा रहे है। यही बात हमारे आमंत्रण कर्ता और आमंत्रित भूल जाते है । निमंत्रित को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि जहा वह जा रहा है, उसके वहा आने पर क्या वहा पुछने वाला भी कोई है? कोई हमदर्द भी है। जिसके लिए हमे बुलाया गया क्या उसके बारे मे कुछ मालूम है ? क्या खाने के वक्त कोई आपका कुशल क्षेम पूछता है ? हर कही इन बातों को सुनिश्यचित किए हुये ? किसी भी घर मे आगंतुक नहीं बनना चाहिए ? आमंत्रण कर्ता का मंतव्य क्या है इसका भी परीक्षण जरूरी है, हर जगह आगंतुक बनना कभी भी त्रासदायक हो सकता है, प्रयास करे निमंत्रण जिसके लिए मिला वह पूर्ण होने होने पर सीधे अपने घर आकर अपनी बची दिनचर्या निभाना चाहिए, मैंने ऐसे अनेक लोग देखे है जो आमंत्रित के जैसे उपस्थित तो होते है किन्तु भोजन घर का ही ग्रहण करते है। वे जानते है कि कराभोजन ही हमारे आचरण की अशुद्धि के लिए पर्याप्त है, अनेक लोग ऐसे है जो पराया अन्न आज भी नहीं लेते? आयोजक भी आमंत्रित को खाने के लिए कह कर खुद अपने घर मे जाकर खाते है, यह आमंत्रितो खुला उपहास है।
humaramadhyapradesh.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply