- 160 Posts
- 31 Comments
गंधर्व विवाह ने प्रेम विवाह का रूप ले लिया है। मेरा कही भी यह कहना नहीं है कि यह गलत है। लड़के को लड़की और लड़की को लड़का जम जाये वही विवाह उत्तम होता है। जात पांत और अनेकों विघ्न इससे समाप्त हो जाते। सब अपने रीति रिवाज के अनुसार शादी करते है। दोनों सुख से रहते है तो माँ बाप की चिंता कम हो जाती है। लड़के के हिसाब से देखा जाये तो उसकी चिंता माँ बाप को हरदम सताते रहती है। कई सालो से पालकर उसे बड़ा किया। उसकी पसंद और न पसंद उन्हे याद आती है। इसी कारण संभवतः कष्ट होता है। बेटी के माँ बाप तो एक बार अच्छा घर मिल जाए सुख की नींद सो सकते है किन्तु वे भी नहीं सो अनेकों महीनो तक नहीं सो पाते है। क्या खायेगी इसकी चिंता उनको नहीं है क्योकि पूरा साम्राज्य उसके हाथ मे है। कब भूख लगेगी वही तय करती है। आज क्या बनाया जाय उसका निर्णय ही सर्वोपरि होता है। वह यह जानती है कि आज क्या बनाने से वह खुश होंगे । होते भी है इसीकरन उसे गृह लक्ष्मी कहा गया है। लक्ष्मी की कोई जात पात नहीं होती वह लक्ष्मी यही पर्याप्त है। इसीलिए प्रेम विवाह अंत तक चलते है। आज भागकर शादी करने का युग समाप्त हो रहा है। माँ बाप समझते है। इसीकरन प्रेम विवाह को अरेंज मेरीज का रूप दे दिया जा रहा है। सही भी है। humaramadhyapradesh.com
Read Comments