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अजीब लोग है। ———-

विचारों का संसार
विचारों का संसार
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अजीब लोग है।
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हम कई सालो तक एक दूसरे के साथ सहयोगी बन कर काम करते है, कोई बड़े पद पर होता है, कोई छोटे पद पद पर रहता है। यह एक टीम होती है। जो अपने लीडर के लिए काम करती है। समय काल और परिस्थिति के अनुसार टीम लीडर बदलते रहता है। हर टीम का  सदस्य को अपना लीडर याद रहता है। किन्तु टीम लीडर को अपने सदस्यो भूल जाता है। यह वही टीम होती है जो अपने लीडर को ताज पहिनाती है। ताज को भूलना उन सदस्यो की मेहनत पर पानी फेर देता है। जब उस टीम का सदस्य दुख मे हो कर अपने लीडर के सामने गुहार लगाता है, टीम लीडर का आचरण ऐसे होता जैसे उसे  जानता ही नहीं हो। यह स्थिति टीम के हर सदस्य के लिए कठिनतम वेदना से कम नहीं होती। इस वेदना से लीडर इसलिए वाकिफ नहीं होता कि उसे हमेशा टीम मिलती है, सब सदस्य एक दूसरे से बढ़कर होते है। यही सोच कि ” तुम नहीं और सही और नहीं और सही’ पर काम करती है, अंत में ता तुम मिलता है  नाही ओर  मिलता है। इसी वेदना में लीडर भी झुलसता है। तब तक टीम के सदस्य उसके आचरण के कारण उससे बहुत दूर चली जाती है। सब एक दूसरे के प्रति न पहिचाने का दुःख झेलते है। टीम लीडर को हर उस टीम के सदस्यों हमेशा याद रखना चाहिए जिसने उसके कुछ अच्छा किया है। यह परोपकार नहीं अपने कष्ट के बदले कुछ समाधान चाहते है। जब यही मुंह मोड ले तब कहा जायेंगे। यही आचरण विद्रोह की भावना को जन्म देता है। जीवन में आये उन सब सदस्यों का हिसाब किताब लीडर के पास होना चाहिए ओर समय आने पर उसकी मदद करनी चाहिए जो उसका हक्क है। लीडर उनका हक्क भूल जाए इससे बड़ी वेदना कोई हो ही नहीं सकती। यदि ऐसा आचरण लीडर करता है तब उसे सेल्फिश मानकर सदस्य भी अलग कर देते है। ना नाम रहेगा ओर नाही दुःख होगा यही सोच यहाँ काम करती है। यह एक सच है कि कोन व्यक्ति कब काम का हो जाये यह हमेशा गर्भ में रहता है। गर्भ को ही नष्ट कर दे तव काम का आदमी कोन होगा, किराये के व्यक्ति से काम कराने का अहम भी इनमे होता है। किराये का व्यक्ति अपनी मजदूरी ले कर चला जाता है। काम वही करता\ है जो भावनात्मक रूप से जुड़ा हो। मध्य प्रदेश के वरिष्ट प्रशासनिक अधिकारी रहे  सुब्रतो बेनर्जी हमेशा कहते है कि बड़ी कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी को ९० % काम सामान्य व्यक्ति जैसा करना चाहिए। लेकिन करता कोई नहीं है। रिटायर होने के बाद व्यक्ति केवल इतिहास  बन जाता कि क्योकि वाह आपका भला करने ताकत खो चूका होता है। भगवान राम के जीवन में अच्छे बुरे लोगो का हिसाब उनके पास था इसीकारण हनुमान जी बाली ओर सुग्रीव आज भी नाम से जाते है, प्रासंगिक है। महा भारत के हर उस सदस्य का हिसाब अर्जुन ओर कृष्ण के पास है। जिनने उनकी थोड़ी भी सहायता की थी। इसलिए वे आज पूजनीय ओर वन्दनीय है। प्रयास करे हम भी ऐसा ही कुछ करे।   WWW.HUMARAMADHYAPRADESH.COM
हम कई सालो तक एक दूसरे के साथ सहयोगी बन कर काम करते है, कोई बड़े पद पर होता है, कोई छोटे पद पद पर रहता है। यह एक टीम होती है। जो अपने लीडर के लिए काम करती है। समय काल और परिस्थिति के अनुसार टीम लीडर बदलते रहता है। हर टीम का  सदस्य को अपना लीडर याद रहता है। किन्तु टीम लीडर को अपने सदस्यो भूल जाता है। यह वही टीम होती है जो अपने लीडर को ताज पहिनाती है। ताज को भूलना उन सदस्यो की मेहनत पर पानी फेर देता है। जब उस टीम का सदस्य दुख मे हो कर अपने लीडर के सामने गुहार लगाता है, टीम लीडर का आचरण ऐसे होता जैसे उसे  जानता ही नहीं हो। यह स्थिति टीम के हर सदस्य के लिए कठिनतम वेदना से कम नहीं होती। इस वेदना से लीडर इसलिए वाकिफ नहीं होता कि उसे हमेशा टीम मिलती है, सब सदस्य एक दूसरे से बढ़कर होते है। यही सोच कि ” तुम नहीं और सही और नहीं और सही’ पर काम करती है, अंत में ता तुम मिलता है  नाही ओर  मिलता है। इसी वेदना में लीडर भी झुलसता है। तब तक टीम के सदस्य उसके आचरण के कारण उससे बहुत दूर चली जाती है। सब एक दूसरे के प्रति न पहिचाने का दुःख झेलते है। टीम लीडर को हर उस टीम के सदस्यों हमेशा याद रखना चाहिए जिसने उसके कुछ अच्छा किया है। यह परोपकार नहीं अपने कष्ट के बदले कुछ समाधान चाहते है। जब यही मुंह मोड ले तब कहा जायेंगे। यही आचरण विद्रोह की भावना को जन्म देता है। जीवन में आये उन सब सदस्यों का हिसाब किताब लीडर के पास होना चाहिए ओर समय आने पर उसकी मदद करनी चाहिए जो उसका हक्क है। लीडर उनका हक्क भूल जाए इससे बड़ी वेदना कोई हो ही नहीं सकती। यदि ऐसा आचरण लीडर करता है तब उसे सेल्फिश मानकर सदस्य भी अलग कर देते है। ना नाम रहेगा ओर नाही दुःख होगा यही सोच यहाँ काम करती है। यह एक सच है कि कोन व्यक्ति कब काम का हो जाये यह हमेशा गर्भ में रहता है। गर्भ को ही नष्ट कर दे तव काम का आदमी कोन होगा, किराये के व्यक्ति से काम कराने का अहम भी इनमे होता है। किराये का व्यक्ति अपनी मजदूरी ले कर चला जाता है। काम वही करता\ है जो भावनात्मक रूप से जुड़ा हो। मध्य प्रदेश के वरिष्ट प्रशासनिक अधिकारी रहे  सुब्रतो बेनर्जी हमेशा कहते है कि बड़ी कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी को ९० % काम सामान्य व्यक्ति जैसा करना चाहिए। लेकिन करता कोई नहीं है। रिटायर होने के बाद व्यक्ति केवल इतिहास  बन जाता कि क्योकि वाह आपका भला करने ताकत खो चूका होता है। भगवान राम के जीवन में अच्छे बुरे लोगो का हिसाब उनके पास था इसीकारण हनुमान जी बाली ओर सुग्रीव आज भी नाम से जाते है, प्रासंगिक है। महा भारत के हर उस सदस्य का हिसाब अर्जुन ओर कृष्ण के पास है। जिनने उनकी थोड़ी भी सहायता की थी। इसलिए वे आज पूजनीय ओर वन्दनीय है। प्रयास करे हम भी ऐसा ही कुछ करे।   WWW.HUMARAMADHYAPRADESH.COM

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