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ऊमा जी फिर आप चूक गयी ——————-

विचारों का संसार
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ऊमा जी फिर आप चूक गयी
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आज पूरा दिन टीवी देखा। न्यूज़ कार्यक्रम प्रमुख था। बी.जे.पी के अधिवेशन सारा संचार माध्यम केंद्रित था। रह रह कर उन नेताओ की तस्वीर दिखाता था जो इस अधिवेशन से नदारत थे । उनमे पार्टी के तथाकथित भीष्म पितामह भी शामिल थे जिनका पार्टी के लिये योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। भीष्म पितामह के साथ वे नेता भी इतिहास के लिये कलंकित हुए जो इस अधिवेशन में किसी कारण से शामिल नहीं हो पाए। ग्यारह बजे से दोपहर बात तक इनका पडला भारी दिखा पांच छे बजे तक तस्वीर साफ़ होते गयी। यशवंत सिन्हा के वक्तव्य में कोमलता आयी। उमा जी भी पिघली अपने को पार्टी के अध्यक्ष के साथ होने लिये राजनाथ सिंह को चिठ्ठी लिखी। उमाजी मौके का फायदा नही उठा पाती। कभी किसी के बातों में आकर पार्टी से बगावत करती है तो कभी पार्टी के साथ निष्ठा न निभाते हुए व्यक्तिगत निष्ठा निभा लेती है। आज जो भी नेता अधिवेशन में शामिल नहीं हुए उनकी फजीहत देखी जा सकती है। यही वह कारण है जिसने कांग्रेस ओर बीजेपी के इन नेताओ ने कोई अंतर नहीं छोड़ा। आज मोदी से फिर साबित कर दिया कि मोदी एक आंधी है, एक सैलाब है, जिसे आने से कोई नहीं रोक सकता मोदी के लिये प्रमुख नेता का नहीं आना उनके पक्ष में गया है। यह इन नेताओ के लिये यह शुभ संकेत नहीं है। हमेशा निष्ठा संस्था के प्रति होना चाहिए न की व्यक्ति के प्रति ? जो नेता आज अधिवेशन में नहीं थे उनकी भाषा कोमलता आती जायेगी। अधिकांश इनमे वे नेता है जो आयातित है। यह महाभारत कहा खत्म होगा कहना कठिन है। यह तय है कि कृष्ण ही विजयी होगा। केशुभाई, राणा के भांति ये नेता भी अब दरकिनार होंगे। यह इतिहास होगा

आज पूरा दिन टीवी देखा। न्यूज़ कार्यक्रम प्रमुख था। बी.जे.पी के अधिवेशन सारा संचार माध्यम केंद्रित था। रह रह कर उन नेताओ की तस्वीर दिखाता था जो इस अधिवेशन से नदारत थे । उनमे पार्टी के तथाकथित भीष्म पितामह भी शामिल थे जिनका पार्टी के लिये योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। भीष्म पितामह के साथ वे नेता भी इतिहास के लिये कलंकित हुए जो इस अधिवेशन में किसी कारण से शामिल नहीं हो पाए। ग्यारह बजे से दोपहर बात तक इनका पडला भारी दिखा पांच छे बजे तक तस्वीर साफ़ होते गयी। यशवंत सिन्हा के वक्तव्य में कोमलता आयी। उमा जी भी पिघली अपने को पार्टी के अध्यक्ष के साथ होने लिये राजनाथ सिंह को चिठ्ठी लिखी। उमाजी मौके का फायदा नही उठा पाती। कभी किसी के बातों में आकर पार्टी से बगावत करती है तो कभी पार्टी के साथ निष्ठा न निभाते हुए व्यक्तिगत निष्ठा निभा लेती है। आज जो भी नेता अधिवेशन में शामिल नहीं हुए उनकी फजीहत देखी जा सकती है। यही वह कारण है जिसने कांग्रेस ओर बीजेपी के इन नेताओ ने कोई अंतर नहीं छोड़ा। आज मोदी से फिर साबित कर दिया कि मोदी एक आंधी है, एक सैलाब है, जिसे आने से कोई नहीं रोक सकता मोदी के लिये प्रमुख नेता का नहीं आना उनके पक्ष में गया है। यह इन नेताओ के लिये यह शुभ संकेत नहीं है। हमेशा निष्ठा संस्था के प्रति होना चाहिए न की व्यक्ति के प्रति ? जो नेता आज अधिवेशन में नहीं थे उनकी भाषा कोमलता आती जायेगी। अधिकांश इनमे वे नेता है जो आयातित है। यह महाभारत कहा खत्म होगा कहना कठिन है। यह तय है कि कृष्ण ही विजयी होगा। केशुभाई, राणा के भांति ये नेता भी अब दरकिनार होंगे। यह इतिहास होगा

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