भारतीय जनता पार्टी की और से प्रचार प्रमुख के रूप मे नरेंद्र मोदी की नियुक्ति कर दी गयी है। वे अपने रनीतिकार के अनुसार एक सफल राजनीति का बिगुल भी बजा चुके है। अनेकों सता पक्ष के नेताओ को अपना महल छोडकर मोदी के महल पर प्रहार कर रहे है। सता पक्ष तीखा प्रहार कर रहे है जबकि उनके अपने पार्टी के नेता सौम्य प्रहार के अवसर को अपने पक्ष में भुनाने की कवायत कर रहे है। कोई भीष्म पितामह के किये गये उपकार की दुहाही दे रहा है, तो इसी बहाने अपने लिये प्रधान मंत्री की जगह खोज रहा है। हर बड़ा सेनापति महाभारत में शिखंडी को खोज रहा है। ऐसे बीजेपी के नेताओ की ना तो भीष्म पितामह और नाही कृष्ण के प्रति चिंता है। ये इन पाडंव के बीच कौरव का काम कर रहे है। बाए हाथ की वेदना के साथ दाया हाथ भी चुनोती दे रहा है। कुलमिलाकर जिनके तक़दीर में संघर्ष लिखा है ऐसे व्यक्ति मरने के लिये भी संघर्ष करते है। मै यह नहीं जानता कि इस महाभारत में कहा तक अर्जुन को अपना हक मिलेगा। शिवराज जी भी काबिल है आज चुनावी सर्वे में वे प्रदेश में मोदी से आगे है। मै भी चाहता हूँ कि शिव ही प्रधानमंत्री बने। किसान का बेटा एक बार फिर किसानो के अनुरूप देश को दिशा देगा। मै चाहता हूँ कि की शिव देश में आगे बढे, समय बहुत है, कुछ भी हो सकता है। संचार क्रांति का युग है। वे भी इस दौढ में मोदी से आगे निकल सकते है, हम सब यही चाहते है। शिव के पास मानव संसाधन है। प्रदेश की ८४ % जनता आज भी मामा की ताजपोशी चाहते है। शिव सेकुलर है जबकि मोदी के साथ यह विशेषण नहीं है। दोनों अलग अलग प्रकार की राजनीती करते है। यही दोनों में असमानता होते हुए भी बीजेपी के लिये समानता है। दोनों अपने प्रदेश के प्रति गंभीर है। उत्कृष्ट नेता है। रमण सिंह भी कही ना कही यह लोभ पाले हुए है। शतरज की चाल को सोच समझ कर चलते है, पेशे से डॉक्टर है सबकी नब्ज जानते है। किस समय यह किसकी नब्ज को पकड़ेगा यह गर्भ में है। अब तीनों में से कोन सिकंदर बनेगा यही यक्ष प्रश्न है। किन्तु इन तीनों को यह याद रखना जरुरी की उनके भीष्म पितामह आज भी इस पद को पाने के लिये प्रयास कर रहे है। राहुल के लिये भी तैयारी पुरी है। दिगी राजा इनके चाणक्य है।
कोन होगा प्रधानमंत्री
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भारतीय जनता पार्टी की और से प्रचार प्रमुख के रूप मे नरेंद्र मोदी की नियुक्ति कर दी गयी है। वे अपने रनीतिकार के अनुसार एक सफल राजनीति का बिगुल भी बजा चुके है। अनेकों सता पक्ष के नेताओ को अपना महल छोडकर मोदी के महल पर प्रहार कर रहे है। सता पक्ष तीखा प्रहार कर रहे है जबकि उनके अपने पार्टी के नेता सौम्य प्रहार के अवसर को अपने पक्ष में भुनाने की कवायत कर रहे है। कोई भीष्म पितामह के किये गये उपकार की दुहाही दे रहा है, तो इसी बहाने अपने लिये प्रधान मंत्री की जगह खोज रहा है। हर बड़ा सेनापति महाभारत में शिखंडी को खोज रहा है। ऐसे बीजेपी के नेताओ की ना तो भीष्म पितामह और नाही कृष्ण के प्रति चिंता है। ये इन पाडंव के बीच कौरव का काम कर रहे है। बाए हाथ की वेदना के साथ दाया हाथ भी चुनोती दे रहा है। कुलमिलाकर जिनके तक़दीर में संघर्ष लिखा है ऐसे व्यक्ति मरने के लिये भी संघर्ष करते है। मै यह नहीं जानता कि इस महाभारत में कहा तक अर्जुन को अपना हक मिलेगा। शिवराज जी भी काबिल है आज चुनावी सर्वे में वे प्रदेश में मोदी से आगे है। मै भी चाहता हूँ कि शिव ही प्रधानमंत्री बने। किसान का बेटा एक बार फिर किसानो के अनुरूप देश को दिशा देगा। मै चाहता हूँ कि की शिव देश में आगे बढे, समय बहुत है, कुछ भी हो सकता है। संचार क्रांति का युग है। वे भी इस दौढ में मोदी से आगे निकल सकते है, हम सब यही चाहते है। शिव के पास मानव संसाधन है। प्रदेश की ८४ % जनता आज भी मामा की ताजपोशी चाहते है। शिव सेकुलर है जबकि मोदी के साथ यह विशेषण नहीं है। दोनों अलग अलग प्रकार की राजनीती करते है। यही दोनों में असमानता होते हुए भी बीजेपी के लिये समानता है। दोनों अपने प्रदेश के प्रति गंभीर है। उत्कृष्ट नेता है। रमण सिंह भी कही ना कही यह लोभ पाले हुए है। शतरज की चाल को सोच समझ कर चलते है, पेशे से डॉक्टर है सबकी नब्ज जानते है। किस समय यह किसकी नब्ज को पकड़ेगा यह गर्भ में है। अब तीनों में से कोन सिकंदर बनेगा यही यक्ष प्रश्न है। किन्तु इन तीनों को यह याद रखना जरुरी की उनके भीष्म पितामह आज भी इस पद को पाने के लिये प्रयास कर रहे है। राहुल के लिये भी तैयारी पुरी है। दिगी राजा इनके चाणक्य है।
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