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जब बाबा के चकर मे आया *******************

विचारों का संसार
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जब बाबा के चकर मे आया
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आज कल के बाबा और देवी देवता के अवतार उन सब लोगो को अपनी और आकर्षित कर रहे है जिन्हे अपनी समस्या का हल नहीं मालूम। समस्या हमने पैदा की या किसी और ने उसकी समस्या का हल हमे खुद खोजना चाहिए? बाबा या देवी देवता के अवतार क्या समस्या का हल खोजेंगे? जब उन्हें आपकी  समस्या की जड़ ही पता नहीं? जिसे जड़ का ही ज्ञान न हो वह कहा तक अपनी समस्या का हल खोजेगा? यह भी विलक्षण बात है कि इन बाबाओ को अपनी समस्या का  ज्ञान ही नहीं है । ये सब तांत्रिक क्रिया से युक्त होते है। जब तक तंत्र चलता है तब तक ही इनकी दुकान दारी चलती है। दुकानदारी तब बंद होती है जब तंत्र शून्य हो जाता है। ये बाबा ऐसे मोहपाश में बांध लेते कि उनसे मुक्ति संभव नहीं हो पाती। तंत्र विज्ञानं का यह कमाल हो सकता है ? नित्यानद हो या निर्मल बाबा या हो कोई आशाराम सब एक तंत्र से जुड़े है? ये दूसरों को मोह में बांधना खूब जानते है। सीधे सादे लोग इस मोह में बंध जाते है। फिर ये जैसा उनका उपयोग करना चाहे करते है ? साधारण उदाहरण यह है कि एक बाबा अपनी पत्नी से क्या सात साल तक अलग रह सकता है ? यदि बाबा ऐसा करते है तब उनकी पार्टनर कहा जायेगी? यह यक्ष प्रश्न है ? यदि ऐसे बाबा ने गृहस्थ धर्म स्वीकार किया है तब पार्टनर के लिये उनका क्या कर्तव्य है ? पत्नी का संगोपन हमारा धर्म आधारित कर्तव्य है।  जैसे बेटे बेटियों की जवाब दारी है उन सबसे बढ़कर पत्नी के प्रति हमारी जिम्मेदारी सबसे बड़ी है। उसे अकेला छोड़कर दूसरों के साथ मजा मौज करना कोनसा धर्म है। ये बाबा क्षणिक लाभ देते है किन्तु जीवन के अंतिम क्षण तक हमारा उपभोग करते है। हम सरल होते है इसीलिए ये बाबा शोषण करते है। जब तंत्र शुन्य हो जाता है तब गवाही के तौर पर पत्नी को हाथ नहीं लगाया तब इसे क्या करूँगा।बाबा का यह जवाब रहता है, हास्यास्प्रद है। आपने पत्नी के साथ क्या किया यह आपका व्यक्तिगत प्रश्न है । उसे सार्वजानिक करने से आप दोष् मुक्त नहीं हो सकते ? यह पत्नी और अपनी एकांतवास की स्त्री के साथ बाबा का धोका है ? रही अंध श्रध्दा की बात तो ये बाबा ऐसा वातावरण निर्माण करते है कि पढ़ा लिखा भी इनके जाल में फँस जाता है ? ये क्यों फंसते है यह भी विचारणीय है ? बड़े बड़े पढ़े लिखे आज भी इनका उपयोग करते है। यह बाबा की महिमा है, जो गरीबो और पढ़े लिखे लोगो को अपने दायरे में लाते है.बाबा के प्रभाव क्षेत्र में लाने का काम इनके वैतनिक कर्मचारी करते है। ऐसे बाबा सामान्य नहीं है, वे असाधारण क्षमता के तंत्र के कारण धनी है ? अंध श्रध्दा ये खुद पैदा करते है। और इसमें वे लोग शामिल हो जाते है जो अपनी समस्या का हल नहीं जानते, इसी का लाभ उठाकर ये आज अरबपति में अपनी गिनती करा रहे है। जो बाबा अपना भविष्य नहीं जानता, जो खुद अपना भला नहीं कर सकता, जो अपना इलाज स्वयं नहीं कर सकता उसे अपना कवच क्यों बनाना चाहिए। ऐसे लोगो से मूल के साथ सूद भी वसूल करने का मौका आगया है। आसाराम जी के देश में अनेक राजनितिक शिष्य है जो ऐसा करने के उन्हें उत्प्रेरण देते है। इस उत्प्रेरण का लाभ उसके शिष्यों से वोट के रूप में एक मुश्त मिलता है। सरकार ना करे फिर भी समाज सेवक इस दिशा में बहुत काम कर सकते है। सरकार को चाहिए कि वे वोट की चिंता किये बैगर  उनके क्षेत्र में जो भी बाबा हो उनका बायो डेटा जन सामान्य के लिये  सार्वजानिक करे। जनता को इनका इतिहास बताये तब ही जनता इनसे दूर छिटकेगी।
जब बाबा के चकर मे आया
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आज कल के बाबा और देवी देवता के अवतार उन सब लोगो को अपनी और आकर्षित कर रहे है जिन्हे अपनी समस्या का हल नहीं मालूम। समस्या हमने पैदा की या किसी और ने उसकी समस्या का हल हमे खुद खोजना चाहिए? बाबा या देवी देवता के अवतार क्या समस्या का हल खोजेंगे? जब उन्हें आपकी  समस्या की जड़ ही पता नहीं? जिसे जड़ का ही ज्ञान न हो वह कहा तक अपनी समस्या का हल खोजेगा? यह भी विलक्षण बात है कि इन बाबाओ को अपनी समस्या का  ज्ञान ही नहीं है । ये सब तांत्रिक क्रिया से युक्त होते है। जब तक तंत्र चलता है तब तक ही इनकी दुकान दारी चलती है। दुकानदारी तब बंद होती है जब तंत्र शून्य हो जाता है। ये बाबा ऐसे मोहपाश में बांध लेते कि उनसे मुक्ति संभव नहीं हो पाती। तंत्र विज्ञानं का यह कमाल हो सकता है ? नित्यानद हो या निर्मल बाबा या हो कोई आशाराम सब एक तंत्र से जुड़े है? ये दूसरों को मोह में बांधना खूब जानते है। सीधे सादे लोग इस मोह में बंध जाते है। फिर ये जैसा उनका उपयोग करना चाहे करते है ? साधारण उदाहरण यह है कि एक बाबा अपनी पत्नी से क्या सात साल तक अलग रह सकता है ? यदि बाबा ऐसा करते है तब उनकी पार्टनर कहा जायेगी? यह यक्ष प्रश्न है ? यदि ऐसे बाबा ने गृहस्थ धर्म स्वीकार किया है तब पार्टनर के लिये उनका क्या कर्तव्य है ? पत्नी का संगोपन हमारा धर्म आधारित कर्तव्य है।  जैसे बेटे बेटियों की जवाब दारी है उन सबसे बढ़कर पत्नी के प्रति हमारी जिम्मेदारी सबसे बड़ी है। उसे अकेला छोड़कर दूसरों के साथ मजा मौज करना कोनसा धर्म है। ये बाबा क्षणिक लाभ देते है किन्तु जीवन के अंतिम क्षण तक हमारा उपभोग करते है। हम सरल होते है इसीलिए ये बाबा शोषण करते है। जब तंत्र शुन्य हो जाता है तब गवाही के तौर पर पत्नी को हाथ नहीं लगाया तब इसे क्या करूँगा।बाबा का यह जवाब रहता है, हास्यास्प्रद है। आपने पत्नी के साथ क्या किया यह आपका व्यक्तिगत प्रश्न है । उसे सार्वजानिक करने से आप दोष् मुक्त नहीं हो सकते ? यह पत्नी और अपनी एकांतवास की स्त्री के साथ बाबा का धोका है ? रही अंध श्रध्दा की बात तो ये बाबा ऐसा वातावरण निर्माण करते है कि पढ़ा लिखा भी इनके जाल में फँस जाता है ? ये क्यों फंसते है यह भी विचारणीय है ? बड़े बड़े पढ़े लिखे आज भी इनका उपयोग करते है। यह बाबा की महिमा है, जो गरीबो और पढ़े लिखे लोगो को अपने दायरे में लाते है.बाबा के प्रभाव क्षेत्र में लाने का काम इनके वैतनिक कर्मचारी करते है। ऐसे बाबा सामान्य नहीं है, वे असाधारण क्षमता के तंत्र के कारण धनी है ? अंध श्रध्दा ये खुद पैदा करते है। और इसमें वे लोग शामिल हो जाते है जो अपनी समस्या का हल नहीं जानते, इसी का लाभ उठाकर ये आज अरबपति में अपनी गिनती करा रहे है। जो बाबा अपना भविष्य नहीं जानता, जो खुद अपना भला नहीं कर सकता, जो अपना इलाज स्वयं नहीं कर सकता उसे अपना कवच क्यों बनाना चाहिए। ऐसे लोगो से मूल के साथ सूद भी वसूल करने का मौका आगया है। आसाराम जी के देश में अनेक राजनितिक शिष्य है जो ऐसा करने के उन्हें उत्प्रेरण देते है। इस उत्प्रेरण का लाभ उसके शिष्यों से वोट के रूप में एक मुश्त मिलता है। सरकार ना करे फिर भी समाज सेवक इस दिशा में बहुत काम कर सकते है। सरकार को चाहिए कि वे वोट की चिंता किये बैगर  उनके क्षेत्र में जो भी बाबा हो उनका बायो डेटा जन सामान्य के लिये  सार्वजानिक करे। जनता को इनका इतिहास बताये तब ही जनता इनसे दूर छिटकेगी।

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