- 160 Posts
- 31 Comments
अनोखा दृश्य मैंने देखा कि सदी के महानायक को आज टीवी पर अपने पिताश्री की कविता बेचते हुए देखा है. उनके साथ कभी नज़र नहीं आने वाली उनकी पत्नी भी आज उनके साथ अपने ससुर की कविता को बेचते देखा, मार्कटिंग का उनका तरीका है बहु को भी सामने ले आये . यह अजीब लगा कि सदी के महानायक की प्रतिभा आज काम नहीं आ रही है ? विश्व के हिंदी सम्मलेन में इनको समापन समारोह के लिए उपस्थित रहने के लिए बहुत मिन्नते की गयी थी, खुद जैसा समाचार पत्रों में मैंने पढ़ा था सुषमा स्वराज्य ने उन्हें यहाँ आने कि दावत दी थी , किन्तु वे हाज़िर नहीं रह सके. देश का इससे बड़ा क्या दुर्भाग्य क्या हो सकता है ? बाप की कविता बेचने का सबसे बड़ा प्लेटफार्म इन्होने खो दिया ? और हिंदी के इनके प्रेम को जग जाहिर कर दिया. जिस हरिवंश राय बच्चन ने हिंदी के लिए अपना जीवन खो दिया उनके अपने बेटे ने ही उनकी जमींन से अपने आपको अलग कर लिया. बाप की हिंदी जागीर के साथ इससे बड़ा क्या कोई मजाक हो सकता? ऐसे तथाकथित महानायक को मै महानायक मानने के लिए तैयार नही हूँ. केवल जो मार्केटिंग कर पैसा कमाना चाहते है, जिस मुख्य मंत्री ने उनको यहाँ आने और उनके पिताजी की कविता बेचने के लिए आमंत्रित किया था, उन्होंने इस जमींन को खो कर शिव राज को महानायक बना दिया. ये शिवराज की तपस्या है आज हिंदी को संपन्न बनाने के अपनी जमींन खुद खोज ली. इनकी हिंदी प्रेम के लिए अनेको का दिल जीत लिया. मै इस सम्मलेन में आये मोदी जी , सुषमा स्वराज्य , राजनाथ सिंह का आभारी हूँ , जिन्होंने हमारे मुख्य मंत्री की मेहनत की पराकाष्टा की इज्ज़त की.और आज उन्हें हिंदी के समृधि के लिए फिर से राजसिंहासन पर बिठा दिया.
Read Comments