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राहत तो दे ही देंगे ————————–

विचारों का संसार
विचारों का संसार
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सरकारी काम में पत्र मिलते ही उसे तुरंत प्रस्तुत करने को क्यों बुरा माना जाता है. कार्यवाही करने वाले कोक्यों उपेक्षित माना जाता है. आज मै सरकारी दफ्तर गया मैंने उनसे पूछा की मेरा पत्र आपके पास आया होगा उन्होंने कहा सर आज ही आया है तब मैंने कहा आप उसे आगे बढ़ा दो, उस अधिकारी ने कहा सर आज ही आया है. इसे आज ही कैसे आगे भेज दूँ. मैंने कहा उससे कहा देर ही अंधेर का कारण है उसने कहा पत्र आगे नहीं बढ़ाने का मतलब यह है कि सेक्शन उस पर भारी विचार और मनन कर रहा है. दोचार दिन बाद जब उसे जब प्रस्तुत किया जायेगा तब यह माना जाता है कि इस पत्र पर भारी सोच विचार किया जाकर उसके निराकरण का प्रस्ताव दिया गया है. मैंने कहा इसमें सोचने और विचार करने का कोई विषय ही नहीं है. वह चुप रहा. लोग जिसमे कुछ भी विचार करना आवश्यक नहीं है उस पर विचार करने में क्यों अपनी शक्ति क्षीण कर रहे है. जिस पर विचार होना चाहिए उस पर क्यों विचार नहीं होता. यहगणित जटिल है जिसका समाधान अनेक लोगो ने खोज लिया है और इन लोगो की संस्था आज विभिन्न नामो से सरकार का घंटो का काम मिनटों में निपटा रहे है. और अपनी तिजोरी भर रहे है. मप्र में एमपीऑनलाइन, महाराष्ट्र में सेतु और महा ऑनलाइन राजस्थान में इ मित्रा आज सरकार का काम कर रही है. अन्य प्रदेशो में भी ऐसी ही संस्था काम कर रही है. हमारी छोटी से गलती के कारण ही अमीर औरअमीर हो रहा है. केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया कर काम रहा आप सोचो विचार करो, मंथन करो. हम तो परेशान को राहत तो दे ही देंगे.

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